मध्यकालीन भारत का इतिहास, मुग़ल राजवंश,प्रमुख शासक तथा तकनीकी विकास

 

मध्यकालीन भारत का इतिहास, मुग़ल राजवंश,प्रमुख शासक तथा तकनीकी विकास

 

भारत के मध्यकालीन इतिहास को 8वी शताब्दी से 18वी शताब्दी के मध्य माना जाता है| इस समय अन्तराल में पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत तथा शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य तथा इस समय के प्रमुख शासक के बारे में विस्त्रत जानकारियों को पढ़ते है | इसी को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट के माध्यम से हम विस्तृत जानकारी को प्राप्त करेंगे|

विस्तृत एवं सुचारु रूप से जानकारी के लिये मध्यकालीन भारत को दो भागों में बाँटा गया है |    

प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (8वी से 11वी शताब्दी)

गत मध्यकालीन युग (12वी से 18वी शताब्दी)

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प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (8वी से 11वी शताब्दी)

 

प्रारम्भिक मध्यकालीन को लेकर हमेशा इतिहासकारों के मध्य मदभेत रहा है | कुछ इतिहासकार इस समय काल को गुप्तराजवंश के पतन के बाद से मानते है | जबकि कुछ इतिहासकार इसे 8वी शताब्दी से मानते है गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद दिल्ली सल्तनत की शुरुआत के बीच भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बटा था  जिनमे हमेसा लड़ाईयाँ होती रहती थी | इन्ही संघर्षों के मध्य यहाँ पर मुस्लिम शासकों का भी आक्रमण होता रहा | इस तरह कुछ निम्न शासक है जिन्होंने शासन किया |




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प्रारम्भिक मध्यकालीन युग (12वी से 18वी शताब्दी)

 

भारत पर मुस्लिमों शासकों का आक्रमण

अरबी तथा फरसों के शासकों के द्वारा 11वी शताब्दी में फारस पर विजय के बाद उनका ध्यान भारत की और गया| वही अरब के कुछ लोग अरब सागर के रास्ते दक्षिण भारत के कई इलाकों खासकर केरल में अपने व्यापार के लिये आते जाते थे |

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दिल्ली सल्तनत

 12वी शताब्दी के अन्त तक भारत पर अफगान,तुर्क तथा फ़ारसी शासकों के आक्रमण तेज हो  गये थे | जिनमे मोहम्मद गोरी के द्वारा भारत पर बार बार आक्रमण से दिल्ली सल्तनत को हिला कर रख दिया इस तरह मोहम्मद गौरी ने तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजित करके वहाँ की सत्ता अपने गुलामों के हाथों में सौंप करके वह पुनः वापस लौट गया इस तरह भारत में  सल्तनत की शुरुआत हुयी |

 

मंगोल आक्रमण

दिल्ली सल्तनत का पतन

लोदी शासकों के द्वारा लगातार जनता के खिलाफ लिये जा रहे गलत फैसलों से लोगो में असंतोष की लहर दौड़ने लगी | जिससे फिरोजशाह तुगलक ने स्थाई सेना को ख़त्म करके सामन्ती सेना का गठन किया जिसके प्रभाव सेना धीरे धीरे सिथिल पड़ने लगी और इस तरह दिल्ली सल्तनत का पतन होता गया| 

 

मुग़ल राजवंश


 मुग़ल सल्तनत की भारत में  शुरुआत

मुग़ल सल्तनत का संस्थापक- बाबर(1526) 

मुग़ल सल्तनत का पहला शासक- बाबर

मुग़ल सल्तनत का अन्तिम शासक-बहादुरशाह जफ़र द्वितीय

 दिल्ली सल्तनत ने सिकन्दर लोदी के पश्चात लोदी वंश का अन्तिम शासक ब्राहीम लोदी 1517 में  सिहांसन पर बैठा, 1517-18 में ही इब्राहीम लोदी और राणा सांगा के मध्य घाटोली  युद्ध हुआ जिसमे लोदियों की हार हुयी जिससे पंजाब  शासक दौलत खां लोदी एवं इब्राहीम लोदी के चाचा आलम खां ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था जिससे बाबर ने आकर अप्रैल 1526 ई० में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी को हराकर मुगल सल्तनत की भारत में स्थापना की, मुग़ल सल्तनत की शुरुआत के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत का भी अन्त हो गया |

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मुग़ल सल्तनत का प्रथम शासक बाबर

बाबर के पिता तैमूर वंश के तथा माता चंगेज वंश की थी | जब बाबर 11 वर्ष का था तभी फरगाना राज्य के सिहांसन पर बैठा और 1496 ई० में समरकन्द पर आक्रमण किया पर असफल रहा परन्तु 1497 ई० पुनः समरकन्द पर आक्रमण करके उसे अपने अधिकार में ले लिया |

परन्तु सरदार शेरवानी खान ने समरकन्द एवं फरगना पर आक्रमण करके उसे अपने अधिकार में पुनः ले लिया और उसपे अपना अधिकार स्थापित कर लिया |  

किसके कारण बाबर अपना देश छोड़ कर काबुल चला गया और एक छोटी सी सेना के आधार पर 1505 में काबुल का बादशाह बना उसके बाद फारस के शाह से सहायता लेकर पुनः समरकन्द पर आक्रमण कर उस पर अपना प्रभुत्त स्थापित कर लिया | परन्तु तीसरी बार भी उसे समरकन्द से निकाल दिया गया अतः वह निराश होकर अपना ध्यान भारत की और लगाया|

इधर अफगान सामन्त इब्राहीम लोदी के अपमान जनक व्यवहार से दुखी होकर पंजाब के शासक दौलत खां और इब्राहीम लोदी के चाचा आलम खां ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमन्त्रित किया, बाबर इस निमंत्रण को स्वीकार कर 1526 ई० में काबुल से भारत की और चल दिया परन्तु बाद में दौलत खां की बाबर से अनबन हो गयी अतः सर्वप्रथम बाबर को दौलत खां से ही युद्ध करना पड़ा इस संघर्ष में दौलत खां की हार हुयी और बाबर ने लाहौर पर अपना अधिकार कर लिया |

इस नई शुरुआत के साथ अप्रैल 1526 ई० में पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर एवं इब्राहीम लोदी के मध्य हुआ इस युद्ध में इब्राहीम लोदी की हार होने के साथ ही दिल्ली सल्तनत का अन्त हो गया और दिल्ली सल्तनत पर मुग़ल वंश की स्थापना हुयी |

 

भारत में मुगल सल्तनत के शासक

भारत में मुग़ल सल्तनत का संस्थापक- बाबर 1526 ई० में

 बाबर

  • बचपन का नाम-जहीरुद्दीन
  • जन्म-14 फ़रवरी फरगना में
  • पिता का नाम- अमर शेख मिर्जा(तैमूर वंश के)
  • माता का नाम-(चंगेज वंश की)
  • भारत पर आक्रमण-1526 में पानीपत का प्रथम युद्ध
  • भारत पर शासन का समय-(1526-1530)

 

बाबर के द्वारा भारत में लाडे गए प्रमुख युद्ध

  1. पानीपत का प्रथम युद्ध(1526)-बाबर तथा इब्राहिम लोदी के मध्य जिसमे इब्राहिम लोदी की हर हुयी
  2. खानवा का युद्ध(1527 )-बाबर तःथा राणा शंगा के मध्य,राणासांगा की हर हुयी
  3. चंदेरी का युद्ध(1528)-बाबर तथा मेदिनराय के मध्य,मेदिनराय पराजित हुये
  4. घाघरा युद्ध (1529)-बाबर और अफगान(महमूद लोदी) के मध्य , महमूद लोदी पराजित हुआ

 

मृत्यु-1530 में बाबर की आगरा में मृत्यु हो हुयी और इसे काबुल में दफनाया गया |

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नोट:-युद्ध याद करने के ट्रिक :-

26 में पानी पिया, 27 में खाना खाया,28 में चल दिया, 29 में घर गया, 30 में मर गया

अर्थात 1526 में पानीपत का युद्ध, 1527 में खानवा युद्ध, 1528 में चन्देरी का युद्ध,1529 में घाघरा का युद्ध, 1530 में मृत्यु हो गयी

 

प्रमुख बिन्दु

  1. खानवा युद्ध के बाद बाबर को गाजी की उपाधि दी गयी
  2. बाबर की दानप्रियता के कारण इसे कलन्दर की उपाधि दी गयी
  3. बाबर की आत्मकथा -तुजुक--बाबरी (तुर्की भाषा में)
  4. तुजुक--बाबरी का फ़ारसी अनुवाद- बाबर नामा (जहाँगीर द्वारा लिखित)
  5. आराम बाग़ का निर्माण-आगरा में

 

 हुमायू

शासन काल- (1530-1556 तक)

बचपन का नाम-नसीरुद्दीन

बाबर की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र हुमायू 1530 में मुगल सिहांसन पर बैढा, सिहांसन  बैढते ही हुमायू को अफगान के शासक बहादुर शाह तथा गुजरात के शासक शेरशाह से चुनौती मिली इन चुनौतियों में शेरशाह ने हुमायू को पराजित किया और सिहासन पर अपना अधिकार कर लिया `हुमायू  शासन काल में ही शेरशाह ने GT Road का निर्माण कराया था जो कलकत्ता से पेशावर(पाकिस्तान)जाता है |

  • हुमायु की जीवनी-हुमायू नामा
  • हुमायू  रचना-गुलबदन बेगम ने की
  • हुमायु की मृत्यु-1556 में शेरमण्डल नमक पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर इसकी मृत्यु हो गयी थी |

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शेरशाह और हुमायू के मध्य युद्ध

शेरशाह और हुमायू के मध्य निम्न युद्ध हुए

1चौसा का युद्ध(1539)

हुमायू तथा शेरशाह के मध्य  पर यह युद्ध हुआ जिसमे हुमायू की पराजय हुयी

 

2 कन्नौज/विलग्राम का युद्ध(1540)

यह युद्ध कन्नौज में हुमायू तथा शेरशाह के मध्य हुआ जिसमे हुमायू की पराजय हुयी और शेरशाह ने दिल्ली तथा आगरा पर अपना अधिकार कर लिया और शेरशाह शूरी नाम से शासन किया|

हुमायू सिन्ध के रास्ते होते हुये फारस गया विपदा के दिनों में उसे अमरकोट के राजपूत राजा वीरसाल ने संरक्षण दिया अमरकोट में ही 1542 में अकबर का जन्म हुआ |

 

अकबर

  • शासन का समय-1556-1605
  • जन्म-अमरकोट(पाकिस्तान) के राजा वीरसाल के घर में 1542 में
  • बचपन का नाम-जलालुद्दीन
  • राज्याभिषेक- पिता हुमांयु की मृत्यु के समय वह मात्र 13 वर्ष 4 महीना के थे जिससे इनका राज्यभिषेक बैरम खा की देख रेख में पंजाब के गुरुद्वास पुर जिले के कालानौर स्थान पर 1556 में हुआ |
  • अकबर द्वारा लड़े गये युद्ध
  • पानीपत का द्वितीय युद्ध(1556)-हेमू तथा अकबर के बीच
  • पानीपत का द्वितीय युद्ध अकबर के संस्थापक बैरम खां और मोहम्मद आदिल शाह सु के वजीर एवं सेनापति हेमू(जिसने दिल्ली पर अपना अधिकार कर लिया था )के बीच हुआ था, हेमू की पराजय हुयी |

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हल्दी घाटी का युद्ध

 

 अकबर के द्वारा  लिए गये निर्णय 

मजहर 1579

1579 में अकबर ने मजहर को जारी किया जिसके अनुसार भारत में इस्लाम धर्म से सम्बन्धित विवादों के बारे में निर्णय करने का अधिकार स्वयं अकबर ने लिया |

अकबर के शासन को-हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहते है |

 

दीन --एलाही धर्म 1585

अकबर ने 1585 में दीन--एलाही धर्म की स्थापना की| दीन--एलाही धर्म को अपनाने वाला पहला व्यक्ति अकबर स्वयं खुद था और पहला हिन्दू बीरबल था |

 

अकबर दवरा लिए गए प्रमुख निर्णय

  1. 1562-दास प्रथा का अन्त
  2. 1563-तीर्थ यात्रा कर समाप्त
  3. 1564-जजिया कर समाप्त(हिन्दुओं पर लगने वाला कर)
  4. 1582-दीन--एलाही की घोषणा
  5. 1583-पशुबध पर निषेध

 

अकबर के द्वारा 1564 में हिन्दुओं पर लगने वाले जजिया कर को समाप्त कर दिया गया था जिसको औरंगजेब ने अपने शासन काल में पुनः चालू कर दिया था |

 अकबर के दरबार में 9 रत्न

  1. बीरबल(बचपन नाम-महेश दास ,अकबर के प्रसिद्ध सलाहकार थे)
  2. तानसेन (एक प्रसिद्ध संगीतयज्ञ),रचनाएँ-मियां  मल्हार,  टोडी, काढ़ा भरण, वाणी-विलास आदि प्रमुख थी |
  3. मुल्ला दो प्याजा
  4. अब्दुल रहीम खान खाना
  5.  राजा मानसिंह
  6. राजा तोड़ल मल
  7. फेजी
  8. अब्दुल फजल
  9. हाकिम तुकुम

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जहाँगीर

  • शासन समय-(1605 -1627)
  •  बचपन का नाम-सलीम 
  • माता-अकबर  पत्नी मरियम उज्जमानी ने अकबर को जन्म दिया था
  •  
  • राज्यभिषेक- जहाँगीर का राज्यभिषेक 1605 में आगरा के किले में नूरुद्दीन मोहम्म्मद जहाँगीर नाम हुआ  |
  •  

विवाह-

जहाँगीर के तीन विवाह हुये

  1. पहला विवाह-जयपुर के राजा भगवानदास की पुत्री से
  2. दूसरा विवाह-राजा उदय सिंह  पुत्री जगत गोसाई से
  3. तीसरा विवाह-फारस के सुल्तान नीर्जागयब की पुत्री मेंहरूनीसा से जिसका नाम जहाँगीर ने बदल कर नूरजहाँ दिया था |

नोट:-

जहाँगीर का काल चित्रकारिता का स्वर्ण काल कहलाता है |

  • जहाँगीर के चित्रकार- अबुल हसन
  • मुग़ल काल की मुख्य भाषा- फ़ारसी
  • जहाँगीर के राज्यकाल में मुग़ल साम्राज्य की सबसे बड़ी सफलता -मेवाङ के राजपूतों पर विजय थी |
  • जहाँगीर की आत्मकथा-तुजुक--जहाँगीर
  • निर्माण कार्य-अकबर का स्मारक- सिकन्दरा में, लाहौर में मस्जिद, शालीमार बाग-श्री नगर

 

जहाँगीर ने अपने शासन काल में चार महत्वपूर्ण विजयें प्राप्त की-मेवाङ विजय, कांगड़ा विजय, अहमदनगर विजय, खुसरों के विद्रोह का दमन  |

 

जहाँगीर के शासनकाल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की गतिविधियाँ प्रारम्भ हुयी थी जहाँगीर शासन काल में ही 3 यूरोपीय यात्री भारत आये |

1-विलियम हाकिन्स 1608(पहला अंग्रेज जो भारत आया)

2-सर टामस रा 1615

3- विलियम फिन्च 

 

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शाहजहां

  • शासन काल-1627-1657
  • जन्म-6 जनवरी
  • बचपन का नाम- खुर्रम
  • शाहजहाँ उपाधि- यह उपाधि उसके पिता जहाँगीर ने दक्षिण भारत पर विजय के पश्चात् दी|
  •  विवाह- शाहजहाँ के  दो विवाह हुये पहला 1601 में  दूसरा 1602 में आरिफ खां की पुत्री अर्जुमन्द बनो से जिसे शाहजहाँ ने मुमताज बेगम नाम दिया |

 

सिहांसन रोहण- शाहजहाँ 1628 में मुग़ल बादशाह बना

निर्माण कार्य

  • दिल्ली के लाल किले में-दीवाने खास, दीवाने आम, रंगमहल का निर्माण
  • दिल्ली की जमा मस्जिद का निर्माण
  • म्यूर सिहाँसन का निर्माण
  • आगरा का ताज महल का निर्माण (मुमताज बेगम की याद में)
  • आगरा के किले में खास महल, अंगूरी बाग, मुसम्मन बुर्ज, मच्छी भवन, शीश महल, मोती मस्जिद का निर्माण

 

म्यूर सिहाँसन

  • म्यूर सिहाँसन के मुख़्य कलाकार-बादल खां
  • शाहजहाँ के शासन काल में इस पर बैढने वाला पहला व्यक्ति शाहजहाँ खुद था उसके बाद फारस का एक लुटेरा नादिर शाह म्यूर सिहाँसन को लूट कर ले गया |
  • म्युर सिहाँसन पर अन्तिम बार बैढने वाला व्यक्ति मामूद शाह रंगीला था

 

आगरा का ताज महल (मुख्य कलाकार- अहमद लाहौरी)

शाहजहाँ की सात संताने थी जिनमे सबसे प्रिय सन्तान औरंगजेब और दारा सिको थी |

उत्तराधिकारी के लिये औरंगजेब और दरासिको के मध्य युद्ध हुआ था जिसमे औरंगजेब ने दारासिको को हरा कर अगला मुग़ल शासक बना |


प्रमुख दरबारी कवि-

  • हाजी मुहम्मद जहान
  • कतविभ चन्द्रभान,रचना- रास गंगाधर, गंगा लहरी

 

हिन्दी के प्रसिद्ध कवि

  • सुन्दर कवि राय
  • चिन्ता मणि
  • कवीन्द्र आचार्य
  • संगीतज्ञ- दीगर खां, लाल खां, जगन्नाथ, रामदास, महापात्र, सुखसेन आदि थे |

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औरंगजेब

शासन का समय-(165-1707)

  • औरंगजेब पूरे मुग़ल वंश में सबसे ज्यादा टैक्स वसूलने वाला शासक था |
  • यह संगीत प्रेमी था इसलिए वीणा बजाता था |
  • इसके गुरु का नाम- मुहम्म्मद हाकिम था |
  • औरंगजेब को लोग आलमगीर,जिन्दापीर ाडी नामों से पुकारते थे
  • सभी मुग़ल काल की सेनाओं में से सबसे ज्यादा हिन्दू औरंगजेब  के शासन काल में थे
  • औरंगजेब के तीन पुत्र थे- शाहजादा मुअज्जम, शाहजादा आलम, शाहजादा कामबख्स

सिहांसन के लिए इन तीनो में युद्ध होता है और शाहजादा आलम ने दिल्ली के तख़्त पर अपना अधिकार जमा लिया|

 

 शाहजादा आलम

  •  शाहजादा आलमका दूसरा नाम- बहादुर शाह जफ़र था
  • शाहजादा आलम ने बहादुर शाह जफ़र के नाम से शासन किया ठीक ऐसी की तरह इसकी मृत्यु के बाद इसके चार पुत्रों में सिहांसन के लिए युद्ध हुआ जिसमे जहदर शाह ने सभी को हरा कर बादशाह बना |

 

जहादर शाह

जहादर शाह  को फर्रूखाशियर ने हटाया और बादशाह बना

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फर्रूखाशियर

  • फर्रूखाशियर के समय में ही 1719 में छत्रपति शाहू से सन्धि हुयी
  • यही समय मराठो का प्रथम बार दिल्ली में आगमन हुआ
  • फर्रूखाशियर जिन सैयद भाईयों की मदद से सिहांसन पर बैठा था उनकी अनदेखी की जिससे उसे गद्दी से हटा कर बहादुर शाह जफ़र के पौत्र को बादशाह बना दिया |

 

बहादुर शाह का पौत्र(अहमदशाह)

  • शासन कल का समय- 3 माह तक
  • अहमदशाह के सहसा काल में ही नादिरशाह ने आक्रमण करके तख़्त--ताउस, कोहिनूर हीरा तथा हजारों दास लूटकर ईरान वापस लौट गया इसके बाद मराठों का गुजरात, मालवा,बुन्देलखण्ड पर  अधिकार हो गया और मुगलों का बहुत ही तेजी से पतन हुआ|

कुछ समय के बाद अहमदशाह की मृत्यु हो गयी इसकी के बाद आलमगीर द्वितीय मुग़ल सिहांसन पर बैठा |

 

आलमगीर द्वितीय

आलमगीर द्वितीय के शासन काल में अब्दाली का दिल्ली में आक्रमण हुआ|

1758 में आलमगीर द्वितीय के वजीर ने उसकी हत्या कर दी |

 

शाहजहाँ द्वितीय(आलमगीर द्वितीय का पुत्र)

इसने 1 साल तक शासन किया इसके बाद आलमगीर द्वितीय के पुत्र अली गौहर ने 1759 में स्वयं को शाहआलम द्वितीय के रूप में बादशाह घोषित कर लिया| |  

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शाहआलम द्वितीय

यह आलमगीर द्वितीय का पुत्र था इसका वास्तविक नाम अली गौहर था |

 

अकबर द्वितीय

यह ब्रिटिश सुरक्षा में नाम मात्र का सरदार था

 

बहादुर शाह जफ़र द्वितीय

बहादुर शाह द्वितीय अंग्रेजीं के समय काल तक मुग़ल साम्राज्य को सभालता रहा| सन 1857 के विद्रोह के पश्चात् अंग्रेजों ने उसे बंदी बनाकर रंगून भेज दिया इस प्रकार मुग़ल सल्तनत का पूरी तरह से पतन हो गया  

 

 मुग़ल सल्तनत के प्रमुख शाशक तथा उनका शासन काल


महाराजा

शासन काल

शासन काल का समय

बाबर

1526

1530

 4  वर्षो तक

हुमायूँ

1530

1540

10  वर्षो तक

इस्लाम शाह शूरी

1540

1545

 5  वर्षो तक

हुमायूँ

1545

1556

11 वर्षो तक

अकबर

1556

1605

49 वर्षो तक

जहाँगीर

1605

1627

22 वर्षो तक

शाहजहाँ

1627

1657

30 वर्षो तक

औरंगजेब

1657

1707

50 वर्षो तक

बहादुरशाह जफ़र उर्फ़ शाह आलम

1707

1712

5 वर्षो तक

जहांदरशाह

1712

1713

1 वर्ष तक

फर्रुखसियर

1713

1719

7 वर्षो तक

बहादुर शाह पौत्र

1719

1748

29 वर्षो तक

अहमद शाह बहादुर

1748

1754

6 वर्षो तक

आलमगीर द्वितीय

1754

1759

5 वर्षो तक

शाहजहां तृतीय

1759-------

-------------

कुछ समय के लिये

शाह आलम द्वितीय

1759

1806

47 वर्षो तक

अकबर  द्वितीय

1806

1837

31 वर्षो तक

बहादुरशाह जफ़र द्वितीय (अन्तिम शासक)

1837

1857

20 वर्षो तक

 

 

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मुगल सल्तनत मे तकनीकी विकास

मुगल शासन के दौरान भारत मे कायि तकनीकी विकास को देखने को मिलता है अकबर के शासन को-हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहते है वही जहाँगीर का काल चित्रकारिता का स्वर्ण काल कहलाता है | शाहजहाँ के शासन काल में हमें विभिन्न निर्माण जैसे की दिल्ली के लाल किले में-दीवाने खास, दीवाने आम, रंगमहल का निर्माण,दिल्ली की जमा मस्जिद का निर्माण,म्यूर सिहाँसन का निर्माण,आगरा का ताज महल का निर्माण (मुमताज बेगम की याद में) आदि को देखने को मिलता है |इन विकास के साथ ही साथ कुछ अन्य तकनीकी विकास भी हुए जो निम्न है-

 

जहाज निर्णाम तकनीकी

भारतीयों ने यूरोपवासियों के द्वारा जहाजों के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली कील की तकनीकी को अपना लिया तथा समय के साथ ही लोहे के लंगरों का उपयोग करना भी सीख लिया | इसका मुख्य उपयोग पानी को लेन में किया जाता था |

 

सैन्य तकनीकि

मुग़ल सल्तनत के अन्तर्गत सैन्य तकनीकी में मुख्य सुधार बाबर के ही शासन काल में ही देखने को मिलता है इसने युद्धों में घोडेदार बंदूके तथा तोपों आदि का प्रयोग किया | वही अबुल फजल के अनुसार अकबर ने ऐसी बंदूकों का निर्माण किया था जिसमे एक बार घोडा दबाने पर एक साथ 17 बंदूकों से गोली दागी जा सकती थी | 

 

धातु सोधन तकनीकी

अकबर के शासन काल में इसकीआयुधशाला में लोहे की तोपों और बंदूकों की नालो का निर्माण किया जाता था| वही जस्ता के निर्माण के लिए राजस्थान के खैत्री में ताम्बे की खान थी| टीन का निर्माण भारत में नहीं होता था जिस कारण  इसका आयात पश्चिमी एशिया से किया जाता था |

 

कांच निर्माण तकनीकी

 भारतीय मात्र भारतीय सर्पण तथा धातुओं से बने दर्पण से परिचित थे परन्तु 16वी तथा 17वी शताब्दी में यूरोपीय अपने साथ काँच की बनी विभिन्न वस्तुएँ लाये  इस समय में रेत घडी तथा पानी पीने के लिये काँच का बना हुआ गिलास का प्रयोग भी देखने को मिलता है |

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मुद्रालय

विभिन्न तकनीकों के विकास के साथ ही इस समय में मुद्रालय का विकास भी देखने को मिलता है जिसमे सूरत स्थित कम्पनी के मुख्य दलाल भीम जी पारक  की मुद्रण तकनीकी विकास में विशेष दिलचस्पी को देखा जा सकता है |

 

समय मापन पद्धति

उस समय समय की मापने अथवा जानकारी के लिए जल घडी का प्रयोग किया जाता था|  सर्वप्रथम यूरोपवासी भारत में मुग़ल सल्तनत में यांत्रिक घडी अपने साथ लेकर आये थे तथा सर टॉमस ने जहांगीर को एक यांत्रिक घडी भेट के रूप में दिया था |

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