पेड़-पौधे क्या हैं?इसके कितने भाग होते हैं, पौधों के प्रकार, वर्गीकरण, महत्त्व तथा विशेषताएँ
अगर हम पने आस पास देखे हमें दो तरह की वस्तुएं दिखाई देती है|सजीव वस्तुएं और निर्जीव वस्तुएं,सजीव वस्तुओ में एक कोशकीय जंतु से लेकर बहुकोशकीय जन्तु तथा पेड़-पौधे पाए जाते है|
पेड़ पोधों का हमारे जीवन में अनमोल योगदान है| जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है| यह हमारे प्रदूषण को कम करते है और हमारे द्वारा छोड़ी गयी कार्बनडाईऑक्साइड को ग्रहड़ कर हमें प्राण वायु ऑक्सीजन प्रदान करते है तथा इनसे प्राप्त होनेवाली विभिन्न प्रकार की वस्तुए जैसे औषधियाँ,मसाले,सब्जियाँ,खड्यातेल,फल,अनाज से हमारा जीवन का निर्वाह होता है|
इस तरह हम कह सकते है कि“पेड़ वह हैं जिनका जीवन कम से कम दो वर्ष हो जिनमे शाखाएँ निकली हो और उनसे हमें लकड़ियाँ मिले पेड़ कहलाते हैं”
पेड़ -पौधों के भाग (पार्ट ऑफ ट्री )
पेड़-पौधों के प्रकार एवं भाग की विस्तृत जानकारी के लिए इन्हे दो भागो में बाटा गया है जड़ तथा तना|
- जड़ पेड़-पोधों का वह भाग जो जमीन केअंदर पाया जाता है उसे जड़ कहते है|जड़ के कार्य - जड़े पेड़-पोधों कोआधार प्रदान करती है|जड़े जमीन से खनिज पदार्थो का अवशोषण कर पेड़-पोधों के विभिन्न भागों तक पहुँचाती है|
- तना पेड़-पोधों का वह भाग जो जमीन के ऊपर पाया जाता है उसे तना कहते है|तना के कार्य-इसके प्रमुख कार्य जड़ो के द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज पदार्थो को पौधों के अन्य भाग जैसे -पत्ती,फूल,फल,बीज तक पहुचाना है|
1.पत्ती - यह पौधे का हरा भाग होता है इसका हरा रंग इसमे पाए जाने वाले कलोरोफिल के कारण होता है|पत्ती के प्रमुख कार्य- पत्ती सूर्य के प्रकाश में जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड की सहायता से प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन का निर्माण करना है|
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2 फूल-यह पौधे का रंग बिरंगा तथा सबसे आकर्षक भाग होता है इसके 4 भाग होते है| वाह्यदलपुंज,दलपुंज, पुमंग (पुंकेसर-फूल का नर भाग)जायांग(स्त्रीकेसर-फूल का मादा भाग)|फूल के कार्य फूल के प्रमुख कार्य प्रजनन में सहायता करना है|
- संसार का सबसे बड़ा फूल -रफ्लेसिया
- संसार का सबसे छोटा फूल- वुल्फ़िया
- संसार का सबसे लम्बा फूल -टाइटन एरम
- फूलो की अवस्थित घाटी -चमोली घाटी उत्तराखंड
3 फल- पेड़-पौधों का यह ऐसा भाग है जिसका निर्माण अण्डाशय से होता है|इसका प्रयोग खाने तथा दवाई से साथ साथ दूसरे कार्यो में भी किया जाता है|
4 बीज- पेड़ पौधों के इस भाग का निर्माण फूलो में पाए जाने वाले बीजाणु से होता है यह एक ऐसा भाग होता है जिसके अन्दर एक नए पौधे का पूराअस्तित्व छिपा होता है|इसका प्रयोग तेल निकालने तथा खाने में किया जाता है|
पौधों के प्रकार
अगर पौधों के प्रकार एवं भाग के विषय में बात करे तब पौधों में पायी जाने वाली विभिन्न विशेषताएँ और आकर के आधार पर पौधों को निम्नलिखित रूप से वर्गीकरण किया गया है।
- शाक (Herbs) इस प्रकार के पौधे आकार में बहुत छोटे होते है तथा इनका तना हरे रंग का और अत्यधिक कोमल होता है। जैसे-मेथी ,पालक ,धनिया आदि
- झाड़ी (Shrubs) इस प्रकार के पौधों का आकार शाक की तुलना में बड़ा होता है तथा इनका तना मोटा और कढोर होता है। इस कढोर तने के आधार से कई शाखाएँ निकलती है। जैसे-गुड़हल, नीबूं, गुलाब
- वृक्ष (Tree) बड़े एवं विशाल पौधों को वृक्ष कहा जाता है। वृक्षों का तना कढोर, मोटा एवं भूरे रंग का होता है जिससे कई शाखाएँ निकली होती है। जैसे- पीपल, नीम , जामुन, आम आदि
- लताएँ (Creepers) इस प्रकार के पौधे अत्यन कमजोर होते है अर्थात स्वम सीधे खड़े नहीं हो सकते है, इनको स्थिर रखने के लिये सहायता की आवश्यकता पड़ती है। इन लताओं को दो भागों में बाँटा गया है।
- विसर्जी लता- वह लताएँ जो जमीन के बहुत बड़े भूभाग पर फैली होती है उन्हें विसर्जी लताएँ कहा जाता है। जैसे-तरबूज, खीरा, खरबूजा ,पुदीना आदि
- आरोही लता- वह लताएँ जिनको सीधा खड़े होने के लिए किसी दूसरे पौधे अथवा ढाँचे का सहारा लेना पड़ता है उन्हें आरोही लताएँ कहा जाता है। जैसे-अमरबेल, मटर, मनीप्लांट आदि
- जलोढ़भिद(Hydrophyte)-इस प्रकार के पौधे पानी में पाये जाते है तथा इनकी जड़ो का विकास कम होता है और इनकी पत्तियां संकरी तथा पतली होती है , इन पत्तियों के ऊपर मोम की पतली परत चढ़ी होती है जिससे वाष्पोत्सर्जन की क्रिया के द्वारा जल की हानि कम होती है। जैसे- हाइड्रिला, जललिली, कमल आदि
- लवणोद भिद (Halophyte) -इस प्रकार के पौधे दलदलीय क्षेत्रों में पाये जाते है तथा ें पोधो की जड़े जमीन के ऊपर निकली हुयी होती है। जैसे-साल्ट मार्स (Salt Marsh)
- समोद भिद (Mesophyte)- खेती योग्य जमीन पर पाये जाने वाले पौधे समोद भिद कहलाते है। ें पौधों का तना ढोस तथा शाखा युक्त होता है। जैसे-गेंहूँ, धान, टमाटर, मक्का, गन्ना आदि
- मरुद भिद (Xerophyte)- इस प्रकार के पौधे मरुस्थल क्षेत्रों में पाये जाते है। मरुस्थल क्षेत्रों में पानी की कमी होने से वाष्पोत्सर्जन की क्रिया अधिक न हो के कारण इनकी पत्तियाँ काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। ें पोधो की पत्तियां छोटी तथा जेड गहरी होती है। जैसे-एकसिया, नागफनी, यूफ़ोबिया आदि
पौधों से प्राप्त होने वाली सामग्री | पौधों का नाम |
अनाज प्रदान करने वाले | मटर,अरहर,चना |
सब्जियाँ | |
1 जड़ | मूली,चुकंदर,गाजर,शलजम |
2 तना | अरुई,आलू,अदरक |
3पत्ती | सरसो,बथुआ,पालक,मेथी |
4 फूल | कचनार,फूलगोभी |
5 फल | टमाटर,तोरई,भिन्डी |
खाद्य तेल | |
1फूलों से | गुलाब,चमेली |
2फलों से | नारियल |
3बीजों से | तिल,सरसों,मूँगफली |
फल | सेब,केला,अमरुद,आम |
मसाले | लौंग,इलायची,तेजपत्ता,कालीमिर्च,अदरक |
पेय पदार्थ | काफी (काफी एरबिका) चाय(कैमेलिया साइनेन्सिस) काफी (काफी एरबिका) |
रेशेदार पदार्थ | जूट,सन, कपास |
ओषधियाँ |
|
कवक | |
2 एट्रोपिन | |
3 कुनैन |
- पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलता है|
- पेड़-पौधे वातावरण में पायी जाने वाली विभिन्न हानिकारक गैसों को सोख कर सन्तुलन बनाये रखते है|
- यह हमें विभिन्न प्रकार का भोजन प्रदान करते है|
- पेड़ आश्रय प्रदान करते है |
- पेड़ पारिस्थितिक प्रणाली को संतुलित करने में सहायक
- पेड़ वायु को शुद्ध करने में सहायक
- पेड़-पौधों जैव विविधता को बढाने में सहायक
- पेड़-पौधे मृदा संरक्षण में सहायक
- पेड़-पौधों द्वारा जल के संतुलन को बनाये रखना
- पेड़-पौधों से विभिन्न प्रकार के अनाज प्राप्त करना
- पेड़-पौधों से शब्जियां, खाद्य तेल. पेय पदार्थ, फल,मसाले, ओषधियाँ प्राप्त होती है।
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3 Comments
Nice sir ji
ReplyDeleteYou are welcome Dear
DeleteThanks for your comment
informable
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