तत्सम और तद्भव शब्द अर्थ एवं परिभाषा,भेद पहचानने के नियम तथा उदाहरण Tatsam Tadbhaw

 तत्सम और तद्भव शब्द- अर्थ एवं परिभाषा,भेद पहचानने के नियम तथा उदाहरण 

(Tatsam and Tadbhaw shabd,Definition,Types, Rules, Examples)


इस लेख के माध्यम से हम सभी  यह जानेगें कि तत्सम और तद्भव शब्दों क्या होते है ? इनका अर्थ तथा परिभाषा क्या होती है  साथ-ही साथ तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम क्या है और इनके प्रमुख उदाहरण कौन से है ?


तत्सम और तद्भव शब्द (Tatsam and Tadbhaw Shabd)

 किसी भी भाषा में परिवर्तन आवश्यक है  यह होने वाला परिवर्तन समय के साथ-साथ धीमी गति से होता है और इसी के साथ भाषा में नये शब्द समाहित होते जाते है जिससे पुराने शब्द अपने बदले रूप में प्रचलित हो जाते है इस तरह शब्द अपने मूल अर्थ को न खो कर अपने में बदलाव लाते है परन्तु इस बदलाव से उनका अर्थ वही रहता है जो अर्थ वैदिक काल में था I

इन्ही शब्दों को देखते हुए हिन्दी भाषा में निम्न लिखित शब्दों के संग्रह को देखा गया है -

1 तत्सम शब्द 

2 तद्भव शब्द 

3 देशज शब्द 

4 विदेशज शब्द 

5 अन्य शब्द  

 A-तत्सम शब्द, अर्थ और परिभाषा (Tatsam Shabd)

तत्सम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है तत+सम , जिसका अर्थ होता है -उसके समान अर्थ (ज्यों का त्यों )

संस्कृत से आये हुए वह शब्द जो ज्यों के त्यों प्रयोग में लाये जाते है तत्सम शब्द कहलाते है| दूसरों शब्दों में संस्कृत के वह  शब्द जो  हिन्दी में बिना किसी ध्वनि परिवर्तन के ज्यों त्यों प्रयोग किये जाते है तत्सम शब्द कहलाते अथवा कहे जाते है |

जैसे-आम्र, भक्त,कर्ण, मातुल, अग्नि आदि

 

तत्सम शब्द के प्रकार

तत्सम शब्द के दो प्रकार होते है |

1 परम्परागत तत्सम शब्द

2 निर्मित तत्सम शब्द

 

1 परम्परागत तत्सम शब्द

वह शब्द जो संस्कृत वाङ्गमय में पाए जाते है उन शब्दों को परम्परागत तत्सम शब्द कहा जाता है |

 2 निर्मित तत्सम शब्द

ऐसे शब्द जिनका निर्माण समय-समय पर संस्कृत व्याकरण के अनुसार नए विचारों और व्यापारों को अभ्व्यक्ति करने के लिये किया जाता है उन्हें निर्मित तत्सम शब्द कहा जाता है |


B-तद्भव- शब्द,अर्थ एवं परिभाषा (Tadbhaw Shabd)

तद्भव शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है तत+भव जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-विकास या उससे उत्पन्न 

"संस्कृत के वह शब्द जिनको रूपांतरित करके हिन्दी में प्रयोग किया जाता है तद्भव शब्द कहलाते है"

जो पालि, प्राकृत अप्रभंश होते है वे एक तरह से परिवर्तित होकर हिन्दी भाषा में आ गये| हिन्दी की सभी क्रियाएँ जैसे- संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण तद्भव शब्द है अगर सच कहा जाये तो ये तद्भव शब्द ही हमारी अपनी पूँजी है | जैसे-अमूल्य से अमोल, अनर्थ से अनाड़ी, उच्च से ऊँचा, अमलीका से इमली 



 

तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम

तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम निम्न लिखित नियम प्रयोग में लाये जाते है जिनकी सहायता से इन शब्दों को आसानी से पहचाना जा सकता है

 1 शब्दों में प्रायः 'व' अच्छर का प्रयोग होता है जबकि तद्भव शब्दों में 'ब' का प्रयोग होता है |

जैसे- वन और बन

 2 तत्सम शब्दों में 'श्र' का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में 'स'का प्रयोग होता है| 

जैसे-धन्नश्रेष्ढी और धन्नासेठी

 3 तत्सम शब्दों में प्रायः 'र' की मात्रा का प्रयोग होता है |

जैसे-आम से आम्र

 4 तत्सम शब्दों में 'श्र' की मात्रा क प्रयोग किया जाता है |

जैसे- कचहरी से कृतगृह

 5 तत्सम शब्दों में 'ष' वर्ण का प्रयोग किया जाता है |

जैसे-किसान से कर्षक

 6 तत्सम शब्दों के अन्त में 'क्ष' का प्रयोग किया जाता है जबकि तद्भव शब्द के पीछे 'ख' अथवा 'छ' शब्द का प्रयोग किया जाता है |

जैसे- पक्षी और पंछी


तत्सम और तद्भव शब्द के उदाहरण

 

अ तथा आ  से सुरु होने वाले तत्सम और तद्भव शब्द

 

तत्सम= तद्भव

 

1 अज्ञानी=अज्ञानी

 

2 अम्लिका=इमली  

 

3 अगम्य =अगम

 

4 अलवण=अलोना

 

5 अग्रहायण=अगहन

 

6 आत्मन=अपना

 

7 आश्चर्य=अचरज

 

8 अलग्र=अलग

 

9 अंतर्=आंत

 

10 अंगण=आंगन 

 

11 अज्ञानी=अनजान

 

12 आमलक=अमला

 

13 अगणित=अनगिनत

 

14 अरघट्ट=रहट

 

15 अक्षोर=अखरोट

 

16 आच्शारी=आसरा

 

17 अग्र=आगे

 

18 अक्षि=आँख

 

19 अरिष्ट=रीठा

 

20 अकस्मात्=अचानक

 

21 आदित्यवार=औंधा

 

22 अवमूर्ध=औंधा

 

23 अर्चि=आंच

 

24 अष्टांवती=अठानवे

 

25 अंब=अम्मा

 

26 अषाठ=असाठ

 

27 अनुष्ठिका=अँगूठी

 

28 अग्निष्ठिका=अंगेठ

 

29 अन्यपरश्व=नरसो

 

30 अट्टालिका=अटारी 

 

31 अखिल=आखा

 

32 आम्र=आम

 

33 अमृत=अमिय

 

34 अंगरक्षक=अंगरखा

 

35 अनर्थ=अनाड़ी

 

36 अंधकार=अंधियारा 

 

37 अँधेरा=अंधकार

 

38 अर्क=आक

 

39 आम्रचूर्ण=आमचूर

 

40 अर्पण=अरपन 

 

41 आश्रय=आसरा

 

42 आकाश=आकास

 

43 अमावस्या=अमावस

 

44 आभीर=अहेर

 

45 अर्ध=आधा

 

46 अमूल्य=अमोल

 

47 अग्रि=आग

 

48 आर्द्रक=अदरक

 

49 अस्थि=हड्डी

 

50 अकथ्य=अकथ

 

51 अष्ट=आठ

 

52 अची =आँच 

 

53 आलस्य=आलस

 

54 अगणित=अनगिनत

 

55 आर्य=आरज 

 

56 अंचल=आँचल

 

57 अनुष्ठ=अंगूठा

 

58 आशीष=अस्सी

 

59 अंध=अँधा

 

60 अखिल=आखा

 

61 अंगप्रोछा=अंगोछा

 

62 आखेट=अहेर

 

63 अलवण=अलोना 

 

64 अनर्थ=अनाड़ी 

 

65 अंधकार=अंधियारा 

 

66 अंजलि=अँजुरी

 

67 अश्रु=आँसू

 

68 एकल=अकेला

 

69 अध्=आज

 

70 अकस्मात्=अचानक

 

71 अंगुली=उँगली

 

72 अनर्थ=अनाड़ी 

 

73 अमूल्य=अमोल

 

74 अक्षर=अच्छर

 

75 आम्रचूर्ण=अमचूर 

 

76 ओष्ठ=ओंठ

 

77 अची =आँच 

 

78 अग्रणी=अगुवा

 

79 आश्विन=आसोज

 

80 अष्टादसअठारह

 

81 अक्षवाट=अखाडा

 

82 अनशन=अनसन

 

83 अंचल=अंचल

 

84 अशिति=अस्सी

 

85 अकथ्य=अकथ

 


  



  तत्सम शब्द

तद्भव शब्द

धैर्य

अकार्य

कर्ण

आश्चर्य

अंगरक्षक

योद्धा

काष्ठ

स्फटिका

अपयश

मातुल

आभीर

यजमान

अग्निष्ठिका 

अक्षि

अपयश

अँगुली  

आदेश

अश्रु

अकार्य

उच्च

आलस्य

उष्ट्र

अवगुण

आदित्यवार

आश्रय

अट्टालिका 

अवतार

भक्त

क्लेश

कोटि

अगम्य 

आम्र

कण

कुक्कर

गोधूम 

कर्म

कृष्ण

चक्रवाह

भक्त 

कोकिला

कुम्भकार

प्रतिछाया

भ्रमर

कान्यकुब्ज

गर्दभ

जो

ग्राहक

हाल्गुन

गृद्ध

अजीर्ण

ग्रन्थि

शत  

अकाज

इतवार 

अचरज

अगम

अपजस

आम

अहीर

आयुस 

आँख

ऊँचा 

आँसू

अट्टारी 

ऊँट

आलस 

औगुन

अवगुन

औतार

परछाई 

कलेश

पाहन

कन

भँवरा

करन

पैदल

कुत्ता

भगत 

काम

मेढक

कहार

कान्ह

सौ

गधा

ग्वाल

रोना

गाय

गिद्ध

साँस 

गाहक

फागुन 

गांठ

तालाब

दूसरा

नेवला

नाई

धीरज

दाँत

जुगति

छेद

चौथा

चाँद

घर

चमड़ा

           

 

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