महाजनपद काल (16 Mahajanpad tatha unki rajdhani)

 

महाजनपद काल

जैसा की हम पिछली पोस्ट वैदिक सभ्यता में पढ़ चुके है कि वैदिक सभ्यता में कई परिवारो के मिलने से एक गोत्र का निर्माण होता था तथा कई गोत्रों के मिलने से  विश का निर्माण तथा कई विश के मिलने से जन का मिर्माण होता था जो की एक राजनैतिक इकाई थी |


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आर्यों का जीवन

निवास स्थान-आर्य सामान्यतः काला सागर और कैम्पियन सागर के मैदानों में रहते थे परन्तु संख्या अधिक होने के कारण धीरे-धीरे फैलते गए और नयी जगहों पर बास्ते गए

पालतू पशु-गायबैलभेड़,बकरीघोड़ा आदि

व्यवासय-ऊन कातना  बनानालकड़ी की वस्तुएँ बनाना

भाषा-संस्कृतफ़ारसीलातिनअंग्रेजी..........................पूरी पोस्ट पढ़े

 

 धीरे-धीरे कुछ जनों में विकास हुआ जिसके यह जन, जनपद के रूप में बदल गए | लगभग 600 ई०पू० इनमे जो जनपद दूसरे जनपदों की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली थे वे महाजनपद के रूप में बदल गये इस तरह कुल 16 महाजनपदों का निर्माण हुआ जी निम्न लिखित है|


 

1 अंग :-राजधनी-चम्पा , विस्तार-बिहार के भागलपुर और मुंगेर जिले में, शासक-ब्रह्मदत्त

 

2मगध:- राजधानी-गिरिव्रज, विस्तार-बिहार के गया और पटना जिले में

 

3 काशी:- राजधानी- वाराणसी, यह महाजनपद सबसे प्रचीन था

 

4 कौशल:- विस्तार-उत्तर प्रदेश के मध्य में उत्तर की और

 

5 वज्जि :-राजधानी-वैशाली , विस्तार-बिहार राज्य में , यह 8 राज्यों का संघ था

 

6 चेटि:- विस्तर-बुन्देलखण्ड में, राजधानी- शुक्तिमती अथवा सोत्थिवति में

 

7 वत्स:- राजधानी-कौशाम्बी, शासन-राजतंत्रात्मक

 

8 पचाल :-विस्तार-रुहेलखण्ड तथा गंगा यमुना के दोआब में , राजा- धुपद तथा इनकी पुत्री का नाम द्रोपदी(महभारत की)

 

9 कुरु:- राजधानी-इंद्रप्रस्थ, विस्तार-मेरढ और थानेश्वर

 

10 अश्मक:-विस्तार-गोदावरी घाटी, राजधानी-पांडन्य

 

11 मच्छ अथवा मत्स्य:- विस्तार-जयपुर,राजधानी-विराट नगर

 

12 शूरसेन :-विस्तार-मथुरा के आस पास का क्षेत्र,राजधानी-मथुरा

 

13मल्ल :-विस्तार-देवरिया,राजधानी-कुशीनगर और पावा

 

14 गान्धार:-विस्तार-पाकिस्तान स्थित पश्चिमोत्तर क्षेत्र,राजधानी-तक्षशिला

 

15 काग्बोज:-विस्तार-कदाचित में,राजधानी-राजापुर

 

16 अवन्ति:-विस्तार-मालवा,राजधानी-उज्जयिनी

 

इनमें से 4 महाजनपद प्रमुख थे जिनका विस्तार निम्न था

1 मगध -(गया, मुंगेर)

2 कोशल-(फैज़ाबाद)

3 वत्स-(इलाहाबाद)

4 अवन्ति-(मालवा)

 

मगध साम्रज्य

छठी शदाब्दी  ई०पू० तक मगध साम्राज्य में तीन राजवंशो का शासन था हर्यक वंश, शिशुनाग वंश, नन्द वंश, इनका शासन लगभग 220 वर्षों तक चलता रहा तभी सिकन्दर में भारत पर आक्रमण किया इस समय नंदवंश का अन्तिम शासक घनानन्द था |

 

सिकन्दर का भारत पर आक्रमण

सिकन्दर मकदूनिया के राजा फिलिप का पुत्र था 366 ई०पू० में पिता का वध होने के बाद वह सिहांसन पर बैढा सबसे पहले यूनान के राज्यों को जित उसके बाद मिस्रऔर पश्चिम एशिया पर अधिकार कर लिया और 326 ई०पू० में भारत में प्रवेश कर सीमान्त प्रदेशों के कुछ राज्यों को बिना युद्ध किये पने अधिकार में ले लिया तथा कुछ समय बाद सिकंदर की 325 ई०पू० में मृत्यु हो गयी |

 

सिकन्दर के आक्रमण का भारत पर प्रभाव

सिकन्दर के द्वारा भारत पर आक्रमण करने से भारतीय इतिहास की तिथि निर्धारण में सहायता मिलती है |

सिकन्दर के आक्रमण से भारत और यूनान के बीच सम्पर्क द्वार खुल गये |

भारतीय कला और ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में यूनानी लिखको का गहरा प्रभाव मिलता है |

विदेशों  व्यापार और सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित हुये |


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