लिपि
“ध्वनियों के चिन्ह को लिपि कहते है”
अगर सरल भाषा में कहें तो हम अपने मन की बात को दुसरो तक पहुंचने के लिए कुछ धवनियों का प्रयोग करते है प्रयोग की जाने वाली इन ध्वनियों के कुछ निश्चित चिन्ह होते है जिनके माध्यम से हम अपने मन की बात दुसरो तक बोलकर या फिर लिख कर पहुंचाते है धवनि के लिखे हुए इन चिन्हों को ही लिपि कहा जाता है|
प्रमुख लिपियाँ
*हिन्दी-देवनागरी
*अंग्रेजी- रोमन
*उर्दू- फ़ारसी
संसार के सभी देशों की अपनी-अपनी भाषा है जिसके माध्यम से विचारों का आदान प्रदान होता है भारत जैसे विशाल देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग- अलग भाषा का प्रयोग किया जाता है फिर भी हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है अर्थात हिंदी हमारी मातृ भाषा है और हिन्दी की लिपि देवनागरी है |
देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि को देवनागरी और नागरी दो नामों से जाना जाता है| तथा इसका विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है| देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जयभट्ट(सातवीं शताब्दी) के एक विशाल शिलालेख में मिलता है |
देवनागरी लिपि की विशेषताएँ
*इस लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिये अलग-अलग चिन्ह है|
*इसमें 14 स्वर, 35 मूल व्यंजन, 3 संयुक्त व्यंजन(क्ष,त्र, ज्ञ) है|
*देवनागरी लिपि में ध्वनि का क्रम वैज्ञानिक है|
*इस लिपि में चिन्हों की लिखावट उच्चारनुकूल होती है अर्थात जैसा लिखा जाता है वैसा ही उच्चारण होता है |
*देवनागरी लिपि में अर्द्धवार्णो की व्यवस्था है जबकि किसी दूसरी लिपि जैसे-रोमन लिपि में नहीं|
*देवनागरी लिपि में वर्णो का उच्चारण निश्चित होता है|
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