कारक की परिभाषा,चिन्ह,भेद,उदाहरण

 

कारक

संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य पदों के साथ जो सम्बन्ध होता है उसे कारक कहते है

इन कारको को  निम्न चिन्हो के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है |

 

कारक का नाम       चिन्ह

*कर्ता                     ने

*कर्म                     को

*करण                  से,के द्वारा

*सम्प्रदान            को,के लिए

*अपादान            से(अलग होने के सम्बन्ध में)

*सम्बन्ध               का,की,के,ना,नी, ने,रा,री, रे

*अधिकरण          में,पर ,पै

*सम्बोधन            हे! हो! अरे! ! रे!

 


1 कर्ता कारक

चिन्ह-ने (भूतकाल के लिए)

"वाक्य में कार्य का बोध कराने वाले शब्द को कर्ता कारक कहते है"

जैसे-

*राम ने खाना खाया |

*दादा जी अख़बार पढ़ रहे है |

*प्रियंका गाना गा रही है |

*राहुल ने नई साइकिल खरीदी |

(उपर्युक्त वाक्यों में राम,दादा जी, प्रियंका, राहुल आदि के द्वारा क्रिया हो रही है)

 

 

2 कर्म कारक

चिन्ह-को

प्रयोग-कर्ता के कार्य का फल के रूप में

संज्ञा,सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़ता है उसे कर्म कारक कहते है

जैसे-

*मोहन(कर्ता) बाजार(कर्म) जाता है |

*राम (कर्ता)ने रावण को(चिन्ह)आँख दिखाई(कर्म)

 

3 करण कारक

अर्थ-साधन 

चिन्ह-से,के द्वारा

क्रिया के साधन तथा अंगो के विकार

जिसके द्वारा वाक्य में क्रिया पूरी की जाती है उस संज्ञा को करण कारक कहते है

जैसे-

*राम ने(कर्ता) रावण को डंडे(कर्म) से(चिन्ह) पीटा(क्रिया)

*किसान हल से खेत जोत रहा है

*वह पैर से लंगड़ा है

 

4 सम्प्रदान कारक

चिन्ह-को,के लिए

कर्ता क्रिया के द्वारा जिसे सबसे ज्यादा संतुष्ट करता है उसे संप्रदान कारक कहते है

जैसे-पिता जी(कर्ता)बच्चों(सम्प्रदान) को(चिन्ह) मिढ़ाई देते(क्रिया) है

 

5 अपादान कारक

चिन्ह-से(अलग होने के सम्बन्ध में)

प्रयोग- डर, भय के अर्थ में, स्थिर में अर्थात जब कोई वस्तु किसी वस्तु अथवा स्थान से अलग होती है वहा अपादान कारक होता है

जिस संज्ञा सर्वनाम से किसी वस्तु का अलग होना पाया जाता है वहां अपादान कारक होता है

जैसे -

*राधा छत(अपादान) से(चिन्ह)उतरती है

*गंगा हिमालय(अपादान से(चिन्ह)निकलती है

*पेड़(अपादान)से(चिन्ह) पत्ते गिरते है

*बच्चा साँप(अपादान)से(चिन्ह) डरता(सम्बन्ध)है

*चोर पुलिस(अपादान)से(चिन्ह)डरती(सम्बन्ध)है

 

6 सम्बंध कारक

चिन्ह- का,की,के,ना,नी, ने,रा,री, रे

संज्ञा सर्वनाम का वह रूप जो किसी शब्द का सम्बन्ध दूसरे शब्द से बताता है उसे सम्बन्ध कारक कहते है

जैसे-

*मेरा(सम्बन्ध)कुत्ता समझदार है

*उसका घर(सम्बन्ध)हिमालय पर है

*मेरा(सम्बन्ध)भाई चला गया

 

7 अधिकरण कारक

चिन्ह-में,पर ,पै

विशेष- क्रिया का आधार होता है

संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते है

जैसे-

*बिल्ली मेज़ पर कूदी

*पच्छी डाल पर बैढा है

 

8 सम्बोधन कारक

चिन्ह-हे! हो! अरे! ! रे!

विशेष- दुःख, घ्रणा,विषमयाद का बोध होता है

जिस शब्द से किसी को पुकारने का बोध हो उसे सम्बोधन कारक कहते है

जैसे-

*हे ! मोहन आओ

*अरे ! तुम पास हो गये


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